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Monday 29 August 2011

'अन्ना टीम' कथित भ्रष्टाचार नाशक 'अवतार' ...कुछ परदे के पीछे की बातें-


आखिर भ्रष्टाचार का 'सर्वनाश करने वाला.??' गुबार थम ही गया...
 
देश की 'जागी हुई' जनता और अन्ना टीम को चूसने के लिए 'लोलीपोप' दे दिया गया..
 
एक बार फिर 'कुटिलों की जननी' कांग्रेस ने सबको 'मूर्ख' बना दिया और 'चने के झाड़' पर चढ़ाये गए अन्ना के अनशन को ससम्मान उतार भी दिया..
किन्तु जिन मुद्दों को लेकर 'जन लोकपाल' की शुरुआत हुई वो सारे मुद्दे धीरे धीरे सिर्फ 12 दिन की रेलम-पेल में कहाँ गायब हुए किसी को नहीं पता चला...
 
सिर्फ रह गया- जन लोकपाल** 'शर्तें लागू'
संसद में बहस में कांग्रेस ने अपनी राजनीति, रणनीति और कूटनीति('कुत्तानीति') से जन लोकपाल पर सवाल खड़े किये...
वो इस तरह व्यवहार कर रहे हैं जैसे बलि से पहले बकरा करता है...
अब 'बकरा' कभी कहीं 'कसाई' को बुलाता है..??
भाजपा ने मौके की नजाकत समझकर समर्थन किया...
लेकिन ** Conditions Apply के साथ... प्रधान-मंत्री, न्यायपालिका, लोकायुक्त, सिटिज़न चार्टर या फिर लोअर ब्यूरोक्रेसी सब जगह 'शर्तें लागू'.??
उसका साथ देते हुए कांग्रेस भी सहमत हुई पर 'शर्तें लागू'...??
वाम दल ने पूरा समर्थन किया, लेकिन बेचारे 'अस्तित्व' की खोज में हैं??

जो 'समझौता-पत्र' टीम
अन्ना को दिया गया वो 'कुटिल' कांग्रेस का झुनझुना है जिसे सिर्फ हिलाया जा सकता है, लेकिन भ्रष्टाचार के खिलाफ हथियार नहीं बनाया जा सकता.??
अनशन समाप्त होने के बाद 'जन-लोकपाल के आने तक धरने पर बैठने वाली'
अन्ना टीम अनशन (जो गले की हड्डी बन गया था) से पीछा छुडवाकर इसी झुनझुने को लेकर 'लोकतंत्र का जश्न' मना रही है...

इस सारे घटनाक्रम में जो विचारणीय है-
दस जनपथ से
कभी कोई बयान(आखिर देश को चलाने वाला 'रिमोट' वहीँ है?) 
क्यों नहीं आया.??
या फिर दिन रात भौंकने वाले श्वानविजय ने मुह क्यों नहीं खोला..??
 
सत्य ये है कि सब पूर्व-नियोजित था.??
राजनीतिक सत्ता जब अपने विरोधियों के समूल नाश के लिए अपने 'मोहरे' इस्तेमाल करती है तो कई बार स्थिति 'अमेरिका और ओसामा' जैसी हो जाती है, जैसा कि सर्वविदित है कि ओसामा बिन लादेन को अमेरिका ने रूस के खिलाफ खड़ा किया था लेकिन 'पहाड़ ऊँट के नीचे' आ गया..
कुछ इससे मिलता-जुलता कथित 'दूसरे गांधी की आंधी' के साथ हुआ..??
'उम्मीद से ज्यादा' जन-समर्थन ने अनशन को 'चने के झाड़' पे चढ़ा दिया...
जन लुभावन नारों जैसे 'जन लोकपाल क़ानून
पारित करवाकर ही अनशन तोड़ेंगे'
और 74 वर्षीय अन्ना हजारे की सरलता और सच्चाई जैसी बातों ने सहानुभूति बटोरी..
'अन्ना' ब्रांड बन गए और मीडिया 'भांड' बन गई.??
'दिखता है तो बिकता है' की तर्ज़ पर मीडिया ने 'माल' कमाया.??
 
और निष्कर्ष निकला वही- 'ढाक के ढाई पात'
जनता एक बार फिर 'ठगी' ही गई है.??

अनशन तोड़ने पर सरदार 'आधुनिक धृतराष्ट्र' और 'आदर्श सोसायटी के भ्रष्ट' वी आर देशमुख को धन्यवाद कहने वाली अन्ना टीम को, उन्हें 'मंच देने वाले' बाबा रामदेव की याद भी नहीं आई जिनके राष्ट्रवादियो और भारत स्वाभिमान के हजारों कार्यकर्ताओं ने आन्दोलन को सफल बनाने में जी जान लगाई, उनका धन्यवाद करना भी अन्ना टीम ने उचित नहीं समझा..??
शर्म की बात ये भी रही कि अनशन के छठे दिन दिवंगत हुए भारत स्वाभिमान के एक कार्यकर्ता (अरुण राय) को श्रृद्धांजलि भी नहीं दी गई.?
कथित 'दलित और अल्पसंख्यक' की बेटियों से ही अनशन 'खुलवाया' गया.. यहाँ शर्म की बात ये है कि बच्चे जो भगवान का रूप होते हैं, उन्हें भी राजनीतिक फायदे के लिए 'आरक्षण' में बाँध दिया गया.??

साधारण 'अल्टो' कार में मंत्रियो के घर
घूम-घूम कर मीडिया और जनता में 'आदर्शवादी' छवि प्रस्तुत करने वाली अन्ना टीम अनशन ख़त्म होने के बाद अन्ना को लेकर लग्जरिअस गाड़ियों में पूरे लाव-लश्कर के साथ 'प्रायोजक' मेदान्ता, गुडगाँव पहुँचते हैं.??

खैर, जो भी हुआ हो,
इस 'नूरा-कुश्ती' की जो सकारात्मक बाते सामने आई, वो हैं-
*अग्निवेश का 'असली चेहरा' सबके सामने उजागर हो गया..?
*
कांग्रेस कितनी बड़ी 'बांटो और राज करो' की नीति की समर्थक है ये अग्निवेश की पोल खुलने
  पर सामने आया.??
*आम-जन और युवाओं की नज़रों में 'रौल विन्ची का यंगिस्तान' समाप्त.?
*'अन्दर की बात' कुछ भी हो लेकिन जन-भावनाओं को 'रौंदने वाली' कांग्रेस सारे देश में
  'विलेन' बन चुकी है और वो है भी, जिसका परिणाम जल्द ही विधानसभा चुनावों में दिख
   जाएगा...

इस देश में जब तक जन लोकपाल की 'काट' के लिए
विभिन्न तरह के आरक्षण की 'मलाई' खाने वाले बिल और कानून रहेंगे.??
जन-लोकपाल बिल का अपने मूल भ्रष्टाचार विनाशक स्वरुप में आना 'असंभव' है.??

इस 'निरर्थक' और राष्ट्रवादियों के मन को ठेस पहुँचाने वाली कथित 'आज़ादी की दूसरी लड़ाई' ने देश के मुख्य मुद्दों और समस्याओं को हाशिये पर खड़ा कर दिया था, जिन पर गंभीरता से ध्यान देने की जरुरत है-
शीला दीक्षित का भ्रष्टाचार...
2G घोटाले में चिदम्बरम की भूमिका...
साम्प्रदायिक लक्षित हिंसा रोकथाम बिल...
अफज़ल-कसाब की फांसी...
सीमाओं पर चीनी मिसाइलों की तैनाती... इत्यादि अनेकानेक हैं...

वन्दे-मातरम्...
जय हिंद...जय भारत....



3 comments:

  1. कुछ लोगों का मतलब है की अगर हम हिंदूवादी हैं,या भाजपा या आर.एस.एस. को
    सपोर्ट करते हैं तो अन्ना को सपोर्ट नहीं कर सकते.यह हमारी विचारधारा
    बिलकुल बेबुनियादी है.आज अन्ना की (देश के आम जनता )की जो छोटी सी जीत हुई
    है,वो सबके लिए है.हलाकि यह लड़ाई की शुरुवात मात्र है,लेकिन कुछ लोग जो
    खुद को तो राष्ट्रवादी कहते हैं लेकिन अन्ना जैसे लोगो का विरोध करे
    हैं,उन्हें समझना चाहिए,अन्ना के विचारधारा से आपको समस्या हो सकती
    है,अन्ना से आपको समस्या हो सकती है,लेकिन अन्ना की जो मांग है,उसको समर्थन
    देना ही सच्ची राष्ट्रवादिता है.
    आखिर राष्ट्रवादी होने का मतलब क्या है?

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  2. राहुल पंडित जी ...
    यहाँ सच्ची राष्ट्रवादिता की तो कोई बात नहीं है... अन्ना का समर्थन करना या ना करना राष्ट्रवादिता की व्याख्या नहीं कर सकता... मैंने यहाँ पर सिर्फ इस आन्दोलन की समीक्षा की है और सत्य से अवगत कराने की कोशिश की है... मैं कभी नहीं चाहूँगा कि राष्ट्रवादिता को कोई मीडिया बेचे या सिर्फ वही राष्ट्रवादी हो जो अन्ना का समर्थन करे.??
    मुझे अन्ना से या उनकी विचारधारा से कोई समस्या नहीं है लेकिन उनकी टीम ने जो अनशन पश्चात् किया वो क्षमायोग्य नहीं है... जब कोई कथित 'आन्दोलन' अपने मुद्दों से भटक जाता है तो वो असफल ही होता है... यही यहाँ हुआ.. जन-समर्थन जन लोकपाल से जुड़ा था ना कि अनशन से पीछा छुडवाने वाले किसी 'समझौते' से.??
    इस 'समझौते' को देश में क्रियान्वयन के पटल पर रखकर देखना और सच्ची आत्मा से सिर्फ 'राष्ट्रहित' सोचना.. स्वयं को 'ठगा' हुआ महसूस करोगे..
    वन्दे मातरम्...

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  3. RAHUL JI , PARDE KE PEECHAE KI HAKIQAT KO SAMJHANE KI KOSHISH KAREN , ANNA KE ITNE ANSHAN SE JO RESULT NIKKA YE TO DUSRE TEESARE DIN BHI NIKAL JATA , ISKE ALAVA CONGRESSS NE PHIR RAJNEETI KARTE HUYE APNA ULLU SIDHA KAR LIYA . AUR JITENDRA JI JO AAP SAMJH RAHE HAIN MERE HISAB SE USMME BHI THODA SA FARAK HAI , CONGRESS NE AGLE ELECTION ME JEET KA HI RASTA SAF KIYA HAI NA KI HAR KA ,YAHAN INHE YE BATANA THA KI HUM AKELE BHRASHAT NAHI HAIN SO INHONE VO BH ISABIT KAR HI DIYA , AUR YE HI ANSHAN INKE AGALE ELECTION KA AGENDA BANEGA .

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