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Wednesday 31 August 2011

क्या बापू अर्ध-दमित सेक्स मैनियॉक थे ?

क्या राष्ट्रपिता मोहनदास कर्मचंद गांधी असामान्य सेक्स व्यवहार वाले अर्द्ध.दमित सेक्स मैनियॉक थे ? जी हां, महात्मा गांधी के सेक्स.जीवन को केंद्र बनाकर लिखी गई किताब “ Gandhi : Naked Ambition ” में एक ब्रिटिश प्रधानमंत्री के हवाले से ऐसा ही कहा गया है । महात्मा गांधी पर लिखी यह किताब आते ही विवाद के केंद्र में आ गई है जिसके चलते अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में उसकी मांग बढ़ गई है। मशहूर ब्रिटिश इतिहासकार जैड ऐडम्स ने पंद्रह साल के अध्ययन और शोध के बाद Gandhi : Naked Ambition को किताब का रूप दिया है।
वैसे तो किताब में नया कुछ नहीं है। राष्ट्रपिता के जीवन में आने वाली महिलाओं और लड़कियों के साथ गांधी के आत्मीय और मधुर रिश्तों पर ख़ास प्रकाश डाला गया है। रिश्ते को सनसनीख़ेज़ बनाने की कोशिश की गई है। मसलन, जैड ऐडम्स ने लिखा है कि गांधी नग्न होकर लड़कियों और महिलाओं के साथ सोते ही नहीं थे बल्कि उनके साथ बाथरूम में नग्न स्नान भी करते थे।
महात्मा गांधी हत्या के साठ साल गुज़र जाने के बाद भी हमारे मानस.पटल पर किसी संत की तरह उभरते हैं। अब तक बापू की छवि गोल फ्रेम का चश्मा पहने लंगोटधारी बुजुर्ग की रही है जो दो युवा.स्त्रियों को लाठी के रूप में सहारे के लिए इस्तेमाल करता हुआ चलता.फिरता है। आख़िरी क्षण तक गांधी ऐसे ही राजसी माहौल में रहे। मगर किसी ने उन पर उंगली नहीं उठाई। ऐसे में इस किताब में लिखी बाते लोगों ख़ासकर, गांधीभक्तों को शायद ही हजम हों। दुनिया के लिए गांधी भारत के स्वतंत्रता आंदोलन के आध्यात्मिक नेता हैं। वह अहिंसा के प्रणेता और भारत के राष्ट्रपिता भी हैं। जो दुनिया को सविनय अवज्ञा और अहिंसा की राह पर चलने की प्रेरणा देता है। कहना न होगा कि दुबली काया वाले उस पुतले ने दुनिया के कोने.कोने में मानव अधिकार आंदोलनों को ऊर्जा दीए उन्हें प्रेरित किया।
नई किताब यह खुलासा करती है कि गांधी उन युवा महिलाओं के साथ ख़ुद को संतप्त किया जो उनकी पूजा करती थीं और अकसर उनके साथ बिस्तर शेयर करती थीं। बहरहाल, ऐडम्स का दावा है कि लंदन से क़ानून की पढ़ाई करने के बाद वकील से गुरु बने गांधी की छवि कठोर नेता की बनी जो अपने अनोखी सेक्सुअल डिमांड से अनुयायियों को वशीभूत कर लेता है। आमतौर पर लोग के लिए यह आचरण असहज हो सकता है पर गांधी के लिए सामान्य था। ऐडम्स ने किताब में लिखा है कि गांधी ने अपने आश्रमों में इतना कठोर अनुशासन बनाया था कि उनकी छवि 20वीं सदी के धर्मवादी नेताओं जैम्स वॉरेन जोन्स और डेविड कोरेश की तरह बन गई जो अपनी सम्मोहक सेक्स अपील से अनुयायियों को क़रीब.क़रीब ज्यों का त्यों वश में कर लेते थे। ब्रिटिश हिस्टोरियन के मुताबिक महात्मा गांधी सेक्स के बारे लिखना या बातें करना बेहद पसंद करते थे। किताब के मुताबिक हालांकि अन्य उच्चाकाक्षी पुरुषों की तरह गांधी कामुक भी थे और सेक्स से जुड़े तत्थों के बारे में आमतौर पर खुल कर लिखते थे। अपनी इच्छा को दमित करने के लिए ही उन्होंने कठोर परिश्रम का अनोखा स्वाभाव अपनाया जो कई लोगों को स्वीकार नहीं हो सकता।
किताब की शुरुआत ही गांधी की उस स्वीकारोक्ति से हुई है जिसमें गांधी ख़ुद लिखा या कहा करते थे कि उनके अंदर सेक्स.ऑब्सेशन का बीजारोपण किशोरावस्था में हुआ और वह बहुत कामुक हो गए थे। 13 साल की उम्र में 12 साल की कस्तूरबा से विवाह होने के बाद गांधी अकसर बेडरूम में होते थे। यहां तक कि उनके पिता कर्मचंद उर्फ कबा गांधी जब मृत्यु.शैया पर पड़े मौत से जूझ रहे थे उस समय किशोर मोहनदास पत्नी कस्तूरबा के साथ अपने बेडरूम में सेक्स का आनंद ले रहे थे।
किताब में कहा गया है कि विभाजन के दौरान नेहरू गांधी को अप्राकृतिक और असामान्य आदत वाला इंसान मानने लगे थे। सीनियर लीडर जेबी कृपलानी और वल्लभभाई पटेल ने गांधी के कामुक व्यवहार के चलते ही उनसे दूरी बना ली। यहां तक कि उनके परिवार के सदस्य और अन्य राजनीतिक साथी भी इससे ख़फ़ा थे। कई लोगों ने गांधी के प्रयोगों के चलते आश्रम छोड़ दिया। ऐडम ने गांधी और उनके क़रीबी लोगों के कथनों का हवाला देकर बापू को अत्यधिक कामुक साबित करने का पूरा प्रयास किया है। किताब में पंचगनी में ब्रह्मचर्य का प्रयोग का भी वर्णन किया है जहां गांधी की सहयोगी सुशीला नायर गांधी के साथ निर्वस्त्र होकर सोती थीं और उनके साथ निर्वस्त्र होकर नहाती भी थीं। किताब में गांधी के ही वक्तव्य को उद्धरित किया गया है। मसलन इस बारे में गांधी ने ख़ुद लिखा है नहाते समय जब सुशीला निर्वस्त्र मेरे सामने होती है तो मेरी आंखें कसकर बंद हो जाती हैं। मुझे कुछ भी नज़र नहीं आता। मुझे बस केवल साबुन लगाने की आहट सुनाई देती है। मुझे कतई पता नहीं चलता कि कब वह पूरी तरह से नग्न हो गई है और कब वह सिर्फ अंतःवस्त्र पहनी होती है।
किताब के ही मुताबिक जब बंगाल में दंगे हो रहे थे गांधी ने 18 साल की मनु को बुलाया और कहा अगर तुम साथ नहीं होती तो मुस्लिम चरमपंथी हमारा क़त्ल कर देते। आओ आज से हम दोनों निर्वस्त्र होकर एक दूसरे के साथ सोएं और अपने शुद्ध होने और ब्रह्मचर्य का परीक्षण करें।ऐडम का दावा है कि गांधी के साथ सोने वाली सुशीला, मनु और आभा ने गांधी के साथ शारीरिक संबंधों के बारे हमेशा अस्पष्ट बात कही। जब भी पूछा गया तब केवल यही कहा कि वह ब्रह्मचर्य के प्रयोग के सिद्धांतों का अभिन्न अंग है।
ऐडम्स के मुताबिक गांधी अपने लिए महात्मा संबोधन पसंद नहीं करते थे और वह अपने आध्यात्मिक कार्य में मशगूल रहे। गांधी की मृत्यु के बाद लंबे समय तक सेक्स को लेकर उनके प्रयोगों पर लीपापोती की जाती रही। हत्या के बाद गांधी को महिमामंडित करने और राष्ट्रपिता बनाने के लिए उन दस्तावेजोंए तथ्यों और सबूतों को नष्ट कर दियाए जिनसे साबित किया जा सकता था कि संत गांधी दरअसल सेक्स मैनियैक थे। कांग्रेस भी स्वार्थों के लिए अब तक गांधी और उनके सेक्स.एक्सपेरिमेंट से जुड़े सच को छुपाती रही है। गांधीजी की हत्या के बाद मनु को मुंह बंद रखने की सलाह दी गई। सुशीला भी इस मसले पर हमेशा चुप ही रहीं।
किताब में ऐडम्स दावा करते हैं कि सेक्स के जरिए गांधी अपने को आध्यात्मिक रूप से शुद्ध और परिष्कृत करने की कोशिशों में लगे रहे। नवविवाहित जोड़ों को अलग.अलग सोकर ब्रह्मचर्य का उपदेश देते थे। ऐडम्स के अनुसार सुशीला नायरए मनु और आभा के अलावा बड़ी तादाद में महिलाएं गांधी के क़रीब आईं। कुछ उनकी बेहद ख़ास बन गईं। बंगाली परिवार की विद्वान और ख़ूबसूरत महिला सरलादेवी चौधरी से गांधी का संबंध जगज़ाहिर है। हालांकि गांधी केवल यही कहते रहे कि सरलादेवी उनकी आध्यात्मिक पत्नी हैं। गांधी जी डेनमार्क मिशनरी की महिला इस्टर फाइरिंग को प्रेमपत्र लिखते थे। इस्टर जब आश्रम में आती तो बाकी लोगों को जलन होती क्योंकि गांधी उनसे एकांत में बातचीत करते थे। किताब में ब्रिटिश एडमिरल की बेटी मैडलीन स्लैड से गांधी के मधुर रिश्ते का जिक्र किया गया है जो हिंदुस्तान में आकर रहने लगीं और गांधी ने उन्हें मीराबेन का नाम दिया।
ऐडम्स ने कहा है कि नब्बे के दशक में उसे अपनी किताब ” द डाइनैस्टीश” लिखते समय गांधी और नेहरू के रिश्ते के बारे में काफी कुछ जानने को मिला। इसके बाद लेखक की तमन्ना थी कि वह गांधी के जीवन को अन्य लोगों के नजरिए से किताब के जरिए उकेरे। यह किताब उसी कोशिश का नतीजा है। जैड दावा करते हैं कि उन्होंने ख़ुद गांधी और उन्हें बेहद क़रीब से जानने वालों की महात्मा के बारे में लिखे गए किताबों और अन्य दस्तावेजों का गहन अध्ययन और शोध किया है। उनके विचारों का जानने के लिए कई साल तक शोध किया। उसके बाद इस निष्कर्ष पर पहुंचे।
इस बारे में ऐडम्स ने स्वीकार किया है कि यह किताब विवाद से घिरेगी। उन्होंने कहा, मैं जानता हूं कि इस एक किताब को पढ़कर भारत के लोग मुझसे नाराज़ हो सकते हैं लेकिन जब मेरी किताब का लंदन विश्वविद्यालय में विमोचन हुआ तो तमाम भारतीय छात्रों ने मेरे प्रयास की सराहना की मुझे बधाई दी। 288 पेज की करीब आठ सौ रुपए मूल्य की यह किताब जल्द ही भारतीय बाज़ार में उपलब्ध होगी। Gandhi : Naked Ambition का लंदन यूनिवर्सिटी में विमोचन हो चुका है। किताब में गांधी की जीवन की तक़रीबन हर अहम घटना को समाहित करने की कोशिश की गई है। जैड ऐडम्स ने गांधी के महाव्यक्तित्व को महिमामंडित करने की पूरी कोशिश की है। हालांकि उनके सेक्स.जीवन की इस तरह व्याख्या की है कि गांधीवादियों और कांग्रेसियों को इस पर सख़्त ऐतराज़ हो सकता है

साभार- हरिगोविंद विश्वकर्मा कहिन – साहित्य जगत

Monday 29 August 2011

'अन्ना टीम' कथित भ्रष्टाचार नाशक 'अवतार' ...कुछ परदे के पीछे की बातें-


आखिर भ्रष्टाचार का 'सर्वनाश करने वाला.??' गुबार थम ही गया...
 
देश की 'जागी हुई' जनता और अन्ना टीम को चूसने के लिए 'लोलीपोप' दे दिया गया..
 
एक बार फिर 'कुटिलों की जननी' कांग्रेस ने सबको 'मूर्ख' बना दिया और 'चने के झाड़' पर चढ़ाये गए अन्ना के अनशन को ससम्मान उतार भी दिया..
किन्तु जिन मुद्दों को लेकर 'जन लोकपाल' की शुरुआत हुई वो सारे मुद्दे धीरे धीरे सिर्फ 12 दिन की रेलम-पेल में कहाँ गायब हुए किसी को नहीं पता चला...
 
सिर्फ रह गया- जन लोकपाल** 'शर्तें लागू'
संसद में बहस में कांग्रेस ने अपनी राजनीति, रणनीति और कूटनीति('कुत्तानीति') से जन लोकपाल पर सवाल खड़े किये...
वो इस तरह व्यवहार कर रहे हैं जैसे बलि से पहले बकरा करता है...
अब 'बकरा' कभी कहीं 'कसाई' को बुलाता है..??
भाजपा ने मौके की नजाकत समझकर समर्थन किया...
लेकिन ** Conditions Apply के साथ... प्रधान-मंत्री, न्यायपालिका, लोकायुक्त, सिटिज़न चार्टर या फिर लोअर ब्यूरोक्रेसी सब जगह 'शर्तें लागू'.??
उसका साथ देते हुए कांग्रेस भी सहमत हुई पर 'शर्तें लागू'...??
वाम दल ने पूरा समर्थन किया, लेकिन बेचारे 'अस्तित्व' की खोज में हैं??

जो 'समझौता-पत्र' टीम
अन्ना को दिया गया वो 'कुटिल' कांग्रेस का झुनझुना है जिसे सिर्फ हिलाया जा सकता है, लेकिन भ्रष्टाचार के खिलाफ हथियार नहीं बनाया जा सकता.??
अनशन समाप्त होने के बाद 'जन-लोकपाल के आने तक धरने पर बैठने वाली'
अन्ना टीम अनशन (जो गले की हड्डी बन गया था) से पीछा छुडवाकर इसी झुनझुने को लेकर 'लोकतंत्र का जश्न' मना रही है...

इस सारे घटनाक्रम में जो विचारणीय है-
दस जनपथ से
कभी कोई बयान(आखिर देश को चलाने वाला 'रिमोट' वहीँ है?) 
क्यों नहीं आया.??
या फिर दिन रात भौंकने वाले श्वानविजय ने मुह क्यों नहीं खोला..??
 
सत्य ये है कि सब पूर्व-नियोजित था.??
राजनीतिक सत्ता जब अपने विरोधियों के समूल नाश के लिए अपने 'मोहरे' इस्तेमाल करती है तो कई बार स्थिति 'अमेरिका और ओसामा' जैसी हो जाती है, जैसा कि सर्वविदित है कि ओसामा बिन लादेन को अमेरिका ने रूस के खिलाफ खड़ा किया था लेकिन 'पहाड़ ऊँट के नीचे' आ गया..
कुछ इससे मिलता-जुलता कथित 'दूसरे गांधी की आंधी' के साथ हुआ..??
'उम्मीद से ज्यादा' जन-समर्थन ने अनशन को 'चने के झाड़' पे चढ़ा दिया...
जन लुभावन नारों जैसे 'जन लोकपाल क़ानून
पारित करवाकर ही अनशन तोड़ेंगे'
और 74 वर्षीय अन्ना हजारे की सरलता और सच्चाई जैसी बातों ने सहानुभूति बटोरी..
'अन्ना' ब्रांड बन गए और मीडिया 'भांड' बन गई.??
'दिखता है तो बिकता है' की तर्ज़ पर मीडिया ने 'माल' कमाया.??
 
और निष्कर्ष निकला वही- 'ढाक के ढाई पात'
जनता एक बार फिर 'ठगी' ही गई है.??

अनशन तोड़ने पर सरदार 'आधुनिक धृतराष्ट्र' और 'आदर्श सोसायटी के भ्रष्ट' वी आर देशमुख को धन्यवाद कहने वाली अन्ना टीम को, उन्हें 'मंच देने वाले' बाबा रामदेव की याद भी नहीं आई जिनके राष्ट्रवादियो और भारत स्वाभिमान के हजारों कार्यकर्ताओं ने आन्दोलन को सफल बनाने में जी जान लगाई, उनका धन्यवाद करना भी अन्ना टीम ने उचित नहीं समझा..??
शर्म की बात ये भी रही कि अनशन के छठे दिन दिवंगत हुए भारत स्वाभिमान के एक कार्यकर्ता (अरुण राय) को श्रृद्धांजलि भी नहीं दी गई.?
कथित 'दलित और अल्पसंख्यक' की बेटियों से ही अनशन 'खुलवाया' गया.. यहाँ शर्म की बात ये है कि बच्चे जो भगवान का रूप होते हैं, उन्हें भी राजनीतिक फायदे के लिए 'आरक्षण' में बाँध दिया गया.??

साधारण 'अल्टो' कार में मंत्रियो के घर
घूम-घूम कर मीडिया और जनता में 'आदर्शवादी' छवि प्रस्तुत करने वाली अन्ना टीम अनशन ख़त्म होने के बाद अन्ना को लेकर लग्जरिअस गाड़ियों में पूरे लाव-लश्कर के साथ 'प्रायोजक' मेदान्ता, गुडगाँव पहुँचते हैं.??

खैर, जो भी हुआ हो,
इस 'नूरा-कुश्ती' की जो सकारात्मक बाते सामने आई, वो हैं-
*अग्निवेश का 'असली चेहरा' सबके सामने उजागर हो गया..?
*
कांग्रेस कितनी बड़ी 'बांटो और राज करो' की नीति की समर्थक है ये अग्निवेश की पोल खुलने
  पर सामने आया.??
*आम-जन और युवाओं की नज़रों में 'रौल विन्ची का यंगिस्तान' समाप्त.?
*'अन्दर की बात' कुछ भी हो लेकिन जन-भावनाओं को 'रौंदने वाली' कांग्रेस सारे देश में
  'विलेन' बन चुकी है और वो है भी, जिसका परिणाम जल्द ही विधानसभा चुनावों में दिख
   जाएगा...

इस देश में जब तक जन लोकपाल की 'काट' के लिए
विभिन्न तरह के आरक्षण की 'मलाई' खाने वाले बिल और कानून रहेंगे.??
जन-लोकपाल बिल का अपने मूल भ्रष्टाचार विनाशक स्वरुप में आना 'असंभव' है.??

इस 'निरर्थक' और राष्ट्रवादियों के मन को ठेस पहुँचाने वाली कथित 'आज़ादी की दूसरी लड़ाई' ने देश के मुख्य मुद्दों और समस्याओं को हाशिये पर खड़ा कर दिया था, जिन पर गंभीरता से ध्यान देने की जरुरत है-
शीला दीक्षित का भ्रष्टाचार...
2G घोटाले में चिदम्बरम की भूमिका...
साम्प्रदायिक लक्षित हिंसा रोकथाम बिल...
अफज़ल-कसाब की फांसी...
सीमाओं पर चीनी मिसाइलों की तैनाती... इत्यादि अनेकानेक हैं...

वन्दे-मातरम्...
जय हिंद...जय भारत....



Sunday 28 August 2011

अग्निवेश की असलियत सामने आई..??

सनसनीखेज खुलासा-
"अनशन के बाद जवाब नहीं मिले सारे, अनबुझ रहे वो सवाल कौन-कौन थे.? 
अन्ना टीम में घुसने वाले देशद्रोही, कांग्रेसियों का जो बुनवाते जाल कौन-कौन थे.? 
चंद टुकडो में भेद घर का बताने वाले शेरों के समूह में शृगाल कौन-कौन थे.? 
लाल तो अन्ना-किरण-केजरीवाल किन्तु कांग्रेस सरकार के दलाल कौन-कौन थे.?"

अग्निवेश की असलियत सामने आई.!!!
लोमड़ी और सियार कभी शाकाहारी हुए हैं.??
'दल्ले' कभी 'इन्सान' बने हैं..?? 
इस 'गद्दार' को स्वामी कहने वालो सुधर जाओ नहीं तो पाकिस्तान चले जाओ.!!
अन्ना टीम का 'आस्तीन का सांप' अब सबको दिख गया है...
अन्ना टीम को 'पागल हाथी' कहने वाला 'कांग्रेस का एजेंट' अग्निवेश, कुटिल सिब्बल से फोन पर बात करता पकड़ा गया है.??

इस विडियो को देखें और फैसला करें- 

आइये जाने क्यूँ नफरत करते है सभी राष्ट्रवादी, दलाल अग्निवेश से और क्यों प्रेम करते है अग्निवेश मुस्लिमों, माओवादियों और ईसाइयों से.??

  • जिस किसी भाई को लगता है की यह ढोंगी स्वामी दयानंद जी का अवतार है तो यह बात मन से पूर्णतया निकाल देंवे क्योंकि इसकी मानसिकता और आर्य समाज की मानसिकता में आकाश पाताल का अंतर है, सच तो यह है की यह आर्य समाजी ही नहीं है...
  • इसने स्वयं ही एक संस्था बनाई है "World Council of Arya Samaj" शायद जिसका उद्देश्य मुल्लो  और ईसाई मिशनरियों की मदद करने के लिए है, क्योंकि यह  स्वामी दयानंद जी के जैसे भगवे वस्त्र पहन कर के लोगो को गुमराह कर रहा है आप स्वयं आर्य समाज की वेबसाइट में देख सकते है की यह अध्यक्ष नहीं है...
  • इसने अतीत में हरियाणा के शिक्षा मंत्री का पद ग्रहण किया हुआ है तो इसके सन्यासी होने का प्रश्न ही पैदा नहीं होता है...
  • वहाँ शिक्षा प्रणाली और किताबों में इतिहास में फेर फार करने के कारण इसकी दाल हरियाणा में अधिक गल नहीं पाई फिर इसने माओवादियों का साथ देना शुरू किया और दलाल का काम पकड़ा हर वार्ता में यह बीच में टपक पडता है...
  • गिलानी, मीर, शबीर अहमद, उमर अब्दुल्ला, यासीन मालिक, अरुंधती रॉय, विनायक सेन, जावेद अख्तर, शबाना आजमी, तीस्ता शीतलवाड़, मदनी इत्यादि इसके परम मित्र है  जो हर दिशा से इसके उद्देश्य को दिशा देते है...
  • शबाना आजमी जैसे सेकुलर महाराष्ट्र से, मदनी दक्षिण से, गिलानी-मीर जैसे आतंकवादी कश्मीर से, आजाद जैसे माओवादी हैदराबाद-आन्ध्र से, राजस्थान गुजरात में इसकी दाल नहीं गल पा रही है वो इसे अच्छी तरह पता है...बंगाल में विनायक सेन और अरुंधती रॉय...
  • ये वो ही लोग है जो तिरंगे से नहीं लाल झंडे को सलाम करते है चीन को आंच भी आयें तो इनके पेट में दर्द होने लगता है... इनका एक ही धर्म है देश द्रोह.. संस्कृति, सीमाएं, भाषा, देश प्रेम से इन्हें कुछ मतलब नहीं...
  • भारत स्वाभिमान में इसे किसी ने नहीं आमंत्रित किया ये स्वयं ही उसमे घुसा हुआ है और लोकपाल बिल का सिर्फ इसलिए समर्थन कर रहा है क्योंकि इसके भी स्वार्थ छिपे हुए है वहाँ.... नहीं तो ऐसा मक्कार लोकपाल बिल का समर्थन क्यूँ कर रहा था, अब तो पोल खुल चुकी है...
  • एक बार केदारनाथ मंदिर को गैर हिन्दुओ के लिए खोलने के लिए हड़ताल पर बैठा था और सरकार पर दबाव बनाने के लिए अच्छे खासे नाटक किये इसने.... पहले जो नास्तिक हिंदू है उन्हें केदारनाथ भेज रे अग्निवेश फिर गैर मुस्लिमों को भेजना...
  • इसने कश्मीर मे आतंकी गिलानी से भेंट करने के बाद अमरनाथ यात्रा को पाखंड बताया...
  • इसने देवबंद में कहा कोई वन्दे मातरम् नहीं गायेगा... अगर कोई तुम्हे वन्दे मातरम् गाने के लिए कहे तो मेरे पास आओ.. 
  • यह वार्ताकार नहीं दलाल और विघटक है जो देश बांटने वालों का 'निजी' है.??


सबूत के तौर पे कुछ तस्वीरें दिखा रहा हूँ-
आतंकवादी मीर के साथ-

 देवबंद में उलेमाओं के बीच-

 


कुछ विडियो भी अवश्य देखिये-
अहमदाबाद में लगा तमाचा- 
वन्दे मातरम् के खिलाफ- 
सभी देशवासियों को ऐसे लोगो से बचने की जरुरत है...
इस वक़्त जब देश की जनता 'अन्ना क्रांति' से जागरूक हुई है, भले ही कोशिशे उतनी रंग नहीं लाई हों जितनी कि उम्मीद थी.?? आशा है भ्रष्टाचार के खिलाफ जंग जारी रहेगी.. जनता अपने अधिकारों को और नेता अपने कर्तव्यों को समझेंगे.??

वन्दे मातरम्...
जय हिंद.. जय भारत...

Sunday 14 August 2011

अधूरी आज़ादी की 65 वीं वर्ष-गांठ...

सभी देशप्रेमियों को अधूरी आज़ादी की 65 वीं वर्ष-गांठ की शुभ-कामनाएं...

आज हमारा देश जिन विकट परिस्थितियों में खड़ा है... उन्हें देखें तो सारे पर्व निरर्थक हैं.??

लाखों करोड़ों के घोटाले, लाखों करोडो का काला धन देश को एक बहुत बड़े आर्थिक विषमता के साम्राज्यवाद की तरफ ले जा रहा है... जिस महंगाई और मुद्रा-स्फीति के विपरीत प्रभाव अब दिख रहे हैं वो तो केवल नमूना भर हैं... अभी लम्बी कहानी आगे बाकी है.??
जब देश की अर्थव्यवस्था अमेरिका की चरण धूल माथे पे रख के झूठे दंभ भरेगी तो ऐसा ही होगा.? अगर विनिमय बाज़ार के आंकड़ों से देखें तो हम अभी 'रिवर्स गीयर' में ही चल रहे हैं.??
रूपये की क्रय-शक्ति कितनी घट चुकी है, ये तो सबकी समझ में आ गया होगा और घर की रसोई का बजट ही सब बता देता होगा..
लेकिन अगर हम इसे राष्ट्रीय स्तर पर सिर्फ अनुमानित करें तो देश का क्या हाल हुआ होगा..अच्छी तरह समझा जा सकता है.??
जबकि हमने समय और जेब देखकर अपने खर्चे सीमित कर लिए या ख़त्म कर लिए और अपना जीवन स्तर सिर्फ ढो रहे हैं.??

ऐसे में हमारे देश के शासकों( उनका व्यवहार राजाशाही ही है-निरंकुश) का भी तो कुछ कर्तव्य होगा? लेकिन वो तो सब खुली लूट में शामिल हैं. और जो इनका विरोध करता है. आधी रात को सोते हुए को जगाकर मारते हैं ये.? -तो हुए ना निरंकुश शासक जिन्होंने 'रोम के नीरो' की मर्यादाये भी तोड़ दी.? आश्चर्य क्या है देश की बाग़-डोर भी तो 'नीरो' के वंशज के हाथ में ही है.?
 
यूपीए अध्यक्षा सोनिया गांधी की विदेश यात्रा का खर्चा(1850 करोड़) इस देश की गरीब जनता ने दिया है. उनकी सब एशो-आराम का खर्च इस देश के लाखों ईमानदार करदाता देते हैं?
इस देश में कोई एक संस्था है जो सोनिया गांधी (सिर्फ सांसद हैं) और उनके परिवार के आय-व्यय का ब्यौरा दे सके??
किस आधार पर वो हमारे देश के और यहाँ के नागरिको की खून पसीने की कमाई व्यर्थ में लुटा रही हैं?? वो भी तब जब देश की जनता गरीबी और भूख से जूझ रही है... पूंजीवाद देश में पाँव पसार रहा है... गरीब और ज्यादा गरीब हो रहा है..??

देश की बाग-डोर दी,
जिन्हें समझ के "नारी"
वो तो निकली "हत्यारी"
और बन गईं पूतना, ताड़का 
और शूपनखा की "प्यारी".

देश के एक-मात्र कठपुतली प्रधान-मंत्री (जिनका नाम इतिहास में जेड ब्लैक अक्षरों में लिखा जायेगा) ईमानदारी की नपुंसक चुप्पी साधे सब दुश्चरित्रों के महा-भारत में गूंगे धृत-राष्ट्र बने बैठे हैं.?? कुटिल सिब्बल, शकुनी दिग्विजय, पापी चिदम्बरम, क्रिकेट माफिया पंवार, दो लाख करोड़ का ये राजा, शीला दीक्षित-कलमाड़ी की कोमन वैल्थ और ऐसे सैकड़ों नेताई उदाहरण हैं, जो  "आदर्श सोसायटी" के भ्रष्ट हैं, जिन्होंने लोकतंत्र को दफना कर, नैतिकता की सब सीमायें तोड़कर हमारे देश को गर्त में डाल दिया है.??
राहुल गांधी-सुकन्या मामला ऐसा है जो इस देश में अन्याय के घनघोर अँधेरे को दर्शाता है..??

पिछले तीन साल में भ्रष्टाचार और काला धन द्रुतगामी गति से बढ़ा है और देश को तीस साल पीछे धकेल गया है...
स्विस बैंक्स में भारतीयों का जमा काला धन देश के लिए माफिया बन चुका है जिस से लड़ना आम आदमी से परे है.?? और इसी काले धन के मालिक कथित 'देश चलाने वाले' हैं.??
अब कोई चोर ये तो कहेगा नहीं कि ले जाओ.. ये मैंने चोरी किया था आपके घर से.??

रही बात संसद की...सभी विपक्षी दल इन परिस्थितियों के लिए समान रूप से उत्तरदायी हैं.??
जो सत्ता पक्ष का मौन समर्थन करते हैं... इन्हें आम लोगों के दुःख से कोई लेना-देना नहीं है.??
संसद को तबेला बना दिया है, जहाँ ये सब 'एक थैली के चट्टे-बट्टे' देश की लाचार जनता का दूध दुहते हैं और निकल लेते हैं??

राजनीति की भ्रष्टता और धृष्टता ने विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र को शर्मसार किया है.?

कांग्रेस की 'धर्म' की नीति पर तो गोरे फिरंगी भी मुहं छुपा लें...??

और कहें कि हमने तो "फूट डालो राज करो" की नीति अपने गुलाम देश में लागू की थी..?
जबकि कांग्रेस.. छी.. छी.. छी.. इनका तो कोई धर्म-ईमान, नीति और देश ही नहीं.??
हिन्दू  "साम्प्रदायिक" बाकी सब धर्म निरपेक्ष (सिक-यू-लायर्स) के साथ.?
वाह.. 'वोट बैंक' का तुष्टिकरण करने वाली पार्टी.. और बदकिस्मती उन कथित "अल्पसंख्यकों" की, जो सिर्फ वोट बैंक समझकर 'प्रयोग' किये जाते हैं.? अहिंसक हिन्दू पे आतंकवाद का आरोप लगाके खानग्रेस वोट बैंक का तुष्टिकरण कर रही है जिसका आज तक का सबसे बड़ा और तुच्छ उदाहरण 'सांप्रदायिक एवं लक्षित हिंसा विधेयक २०११' है...ये विधेयक देश के टुकड़े कर देगा जो ये भ्रष्ट और काला धन माफिया चाहते हैं.??

मीडिया भी इन 'सिक-यू-लायर्स' की 'रखैल' है जो वक़्त- बेवक्त नग्न होती रहती है.??

इस देश की हर पीढ़ी के साथ विडंबना रही है कि हमने जिसको सत्ता में बिठाया
उसने ही हमारे साथ विश्वासघात किया.??
90 लाख करोड़ (आम आदमी तो गिन भी नहीं पायेगा) तो घोटालो में ही चले गए..जिन पर सम्मान के साथ जनता का हक था... इन रुपयों को वही कुत्ते ही तो खा गये जिनको हमने पाला था...?? गरीब की रोटी तो छीन ली अब उसका खून चूस रहे हैं.. कभी महंगाई से तो कभी डीजल-पेट्रोल वृद्धि से... कभी घोटालो से तो कभी भ्रष्टाचार से... फिर भी बच गया तो पाकिस्तानी बम्ब फोड़ जाते हैं? ये नपुंसक देखते रहते हैं और कहते हैं कि पाकिस्तान-अफगानिस्तान जैसे हालात तो नहीं हैं??
राहुल गांधी का कहना है- हर हमला नहीं रोका जा सकता??
पापी चिदम्बरम कहता है- 31 महीने तो बचाए रखा मुंबई को.??
सुबोध कान्त सहाय फैशन शो देखते पकडे जाने पर कहते है- ऐसी घटनाओं से ज़िन्दगी नहीं रूकती.??
भौंडा दिग्विजय तो सीधा बगैर सोचे समझे हिन्दू संगठनों पर आरोप लगता है...
जब देश के मंत्री इतना अनर्गल और गैर जिम्मेदाराना वक्तव्य देंगे तब जनता का मनोबल तो ख़त्म है??
इनके ये शुभ सन्देश अभी मुंबई ब्लास्ट 2011 के हैं.
ऐसी भ्रष्ट और लोकद्रोही राजनीति पर एक मशहूर शायर कहते हैं-
                                                  "बुलंदी का नशा सिम्तों का जादू तोड़ देती है,
                          हवा उड़ते हुए पंछी के बाजू तोड़ देती है.
                          सियासी भेडियो, थोड़ी बहुत गैरत जरुरी है,
                          तवायफ तक किसी मौके पे घुंघरू तोड़ देती है."

जब दुश्मन घर में बैठा हो तो कोई कितनी ही सीमाओं की चौकसी कर लें,
विजयी होना संदिग्ध परिस्थितियों में ही है??

हमारे पड़ोस में एक 'अमन की आशा' है जो दो-चार महीनो में किसी ना किसी शहर में धमाके कर जाती है और हम 'अहिंसा के समर्थक' 'शांति के पुजारी' प्रेम बाँटते रहते हैं..पिछले 65 साल से यही तो हो रहा है.. और हम प्रेम ही तो किये जा रहे हैं--
कभी अपाकिस्तान से, कभी अफज़ल से तो कभी कसाब से...
कभी कश्मीरी अलगाववादियों से...हिन्दू देवियों की नग्न तस्वीर बनाने वाले हुसैन से...
यहाँ मेरठ में रहकर कराची में भारत के खिलाफ आग उगलने वाले बशीर बद्र से....
भारत से कमाए पैसे निर्यात करने वाले राहत फ़तेह अली खान से....
कितने पाकिस्तानी कलाकार हैं मुंबई में जो हमारे प्रेम पे ही पल रहे हैं.....
कोई हिन्दुस्तानी वहाँ पाक में इतना प्यार पा सकता है.?????
हमने तो सब कुछ गँवा के दो ही तो चीज़े पाई हैं......
ये नाकाम कांग्रेस सरकार.??
और
प्रेम...जो बोर्डर पे हमारे जवानों को मिलता रहता है.??

बात की जाए हमारी सेना सैनिकों की तो इनके कर्तव्य और ईमानदारी की मिसाल कहीं नहीं है. अब तो पूरे भारत में केवल माँ भारती के 'जवान' ही हैं, जिन पर हम गर्व कर सकते हैं. हमारे जवानों के लिए कवि मनवीर 'मधुर' कहते हैं- 
   "सैनिकों के शौर्य पे ना कोई प्रश्नचिन्ह यदि ठाने शत्रु को ये जड़ से उखाड़ देते हैं,
   कोई दो-दो हाथ करना भी यदि चाहता तो एक बार में ही भूमि पे पछाड़ देते हैं.
   कोई माया मातृभूमि में कुदृष्टि डालता तो ऐसे आइनों के चेहरे बिगाड़ देते हैं.
   वंशज भरत के हैंसामने हो सिंह के भी खेल खेल में  ही जबड़े को फाड़ देते हैं."

मेरे राष्ट्रवादियों, मेरे देशप्रेमियो..
उठो, समय की पुकार है..
जागो, हालात की हुंकार है..
तुम  सो  रहे  हो  नौजवानों  देश  बिकता है,
तुम्हारी संस्कृति का है खुला परिवेश बिकता है
सिंहासनों  के  लोभियों के  हाथ  में  पड़ कर,
तुम्हारे देश के इतिहास का अवशेष बिकता है

पिशाचों
से बचा लो देश को, अभिमान ये होगा,
तुम्हारा राष्ट्र को अर्पित किया सम्मान ये होगा।

पन्द्रह अगस्त का दिन कहता-
आज़ादी अभी अधूरी है।
सपने सच होने बाक़ी हैं,
रावी की शपथ पूरी है॥

जिन लाशों पर पग धर कर
आजादी भारत में आई।
वे अब तक हैं खानाबदोश
ग़म की काली बदली छाई॥

कलकत्ते के फुटपाथों पर
जो आंधी-पानी सहते हैं।
उनसे पूछो, पन्द्रह अगस्त के
बारे में क्या कहते हैं॥

हिन्दू के नाते उनका दुख
सुनते यदि तुम्हें लाज आती।
तो सीमा के उस पार चलो
सभ्यता जहाँ कुचली जाती॥

इंसान जहाँ बेचा जाता,
ईमान ख़रीदा जाता है।
इस्लाम सिसकियाँ भरता है,
डालर मन में मुस्काता है॥

भूखों को गोली नंगों को
हथियार पहनाये जाते हैं।
सूखे कण्ठों से जेहादी
नारे लगवाए जाते हैं॥

लाहौर, कराची, ढाका पर
मातम की है काली छाया।
पख़्तूनों पर, गिलगिट पर है
ग़मगीन ग़ुलामी का साया॥

बस इसीलिए तो कहता हूँ
आज़ादी अभी अधूरी है।
कैसे उल्लास मनाऊँ मैं?
थोड़े दिन की मजबूरी है॥

दिन दूर नहीं खंडित भारत को
पुनः अखंड बनाएँगे।
गिलगिट से गारो पर्वत तक
आजादी पर्व मनाएँगे॥

उस स्वर्ण दिवस के लिए आज से
कमर कसें बलिदान करें।
जो पाया उसमें खो जाएँ,
जो खोया उसका ध्यान करें॥

वन्दे-मातरम्...
जय हिंद...जय भारत....