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Tuesday 2 August 2011

हुकूमत तो सिर्फ कांग्रेस की ही चलेगी..???

हुकूमत तो सिर्फ कांग्रेस की ही चलेगी.??
माना कि भारत को अंग्रेजों के चंगुल से छुड़ाने के लिए लाखों लोगों ने जान दे दी, पर होशियार वह होता है जो मौके का फायदा उठा ले और यह करामात कांग्रेस के अलावा और किसे आती है? आये भी क्यों न.?
कांग्रेस की स्थापना सन 1885 में सर ए ओ ह्यूम ने की थी जो ईस्ट इंडिया कम्पनी के एक डायरेक्टर के पोते थे !
हमारा राष्ट्रीयगान भी कांग्रेस की ही देन है!  26 दिसंबर 1911 को कलकत्ता में कांग्रेस अधिवेशन के दूसरे दिन ब्रिटिश शासक जोर्ज पंचम को मुख्य अतिथि बनाया गया था और उनके स्वागत में उनकी यश गाथा में यह गीत गुरुदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर जी ने लिख कर सुनाया था जो अगले दिन अख़बारों की सुर्ख़ियों में रहा.
इसमें 5 अंतरे थे लेकिन बाकी में साफ़ था कि यह जोर्ज पंचम् की यश गाथा है इसलिए इसके पहले अंतरे को ही राष्ट्रीय गीत बनाया गया जिसे बाद में भगवान क़ी यशगाथा के रूप में परोसा गया!
शायद ईस्ट इंडिया कम्पनी क्रांतिकारियों के तेवर देख कर समझ गयी थी कि भागने के अलावा कोई रास्ता नहीं है इसलिए शांतिवार्ता और मध्यस्थता के लिए कांग्रेस नाम का एक मंच बनाया गया!

श्रद्धेय श्री श्री महात्मा गाँधी जो अफ्रीका में अपने अपमान का बदला लेने के लिए भारत यात्रा पर निकले थे
उन्हें यह मंच पसंद आया और बाबू सुभाष चन्द्र बोस के कांग्रेस अध्यक्ष चुने जाने पर खेद व्यक्त कर के नेहरु को अध्यक्ष बनवाया!
रिश्तों के लिहाज से जो क्रांतिकारी मदर इंडिया के लिए जान दे रहे थे उन्हें फादर इण्डिया और अंकल इण्डिया मिल गए.
चलिए भाई अंग्रेज किसी क्रन्तिकारी से नहीं डरे लेकिन बापू के अहिंसावादी सत्याग्रह से डर गए!
सत्याग्रह यह कि अगर अंग्रेज पूछें की तुम्हारे क्रन्तिकारी मित्र कहाँ छिपे हैं तो उन्हें सब सत्य बता दिया जाये और जब अंग्रेज क्रांतिकारियों को काला पानी या फांसी की सजा दें तो देश के गुस्से को अहिंसा के नाम पर चुप करा दिया जाये!
अब इतना अच्छा आन्दोलन करनेवाला ही भागते हुए अंग्रेजों से उनका ताज लेकर अपने सर पहन सकता था न कि बम गोली चलने वाला क्रन्तिकारी, तो भाई आजादी का सेहरा कांग्रेस के सर पहुँच गया!
 
टर्निंग पॉइंट तब आया जब कैंसर की आखिरी स्टेज पर खड़े जिन्ना ने देश का पहला प्रधानमंत्री बनने की जिद करी और दूसरी तरफ चाचा जी ने भी...
तो फादर इंडिया तो संत आदमी थे और उन्हें अपने होनहार भाई देश के चाचा जी पर पूरा भरोसा था तो देश को अपने पुरखों की जागीर समझ कर दो हिस्से कर डाले..
मुसलमानों का पाकिस्तान और बाकी सब का हिंदुस्तान.!
अहिंसा के पुजारी जिसको अंग्रेज टस से मस नहीं कर पाए, को एक हिंदुत्व के पुजारी ने गोली से छलनी कर दिया. इस तरह देश पिता विहीन हो गया...
अब चाचा जी ने देश सम्भाला और दलितों के मसीहा श्री श्री बाबा साहब आंबेडकर को मुखिया बना कर विदेशियों के संविधान का भारतीय संस्करण बनवाया जिसमे देश को जाति, धर्म, संप्रदाय, लिंग आदि में बाँट कर आरक्षण की हड्डियाँ डाल कर आपस में दंगे करवाने और स्वयं जनम जनम तक सत्ता का सुख भोगने का गणित तैयार करवाया गया.??
सरकारी नौकरी पर रखने से पहले शिक्षा दीक्षा और चाल चलन की जाँच पड़ताल का प्रावधान रखा गया
लेकिन संसद में बैठ कर देश चलने के लिए क़ानून बनाने वालों को शिक्षा या अपराधिक रिकॉर्ड की जाँच से मुक्त रखा गया.
इसका लाभ उठा कर बाहुबलियों और माफियाओं ने सत्ता में पहुँच कर देश की हुकूमत सम्भालने में कांग्रेस का सहयोग किया और जिस तिरंगे को शहीदों के दिवंगत शरीर पर लपेटा जाता है उसे ही कांग्रेस का झंडा होने के नाम पर इन तथा कथित देशभक्तों का दुपट्टा बना दिया गया जिस से ये अपना मुंह या जूते साफ़ करते हुए मिल जाते हैं.

हिन्दुओं के किसी देवी-देवता या भगवान की मूर्ती या मंदिर तोड़ने पर किसी विशेष सजा का प्रावधान नहीं रखा गया लेकिन फादर इंडिया और अंकल इंडिया के फोटो का अपमान करने वालों के लिए एक विशेष दंड संहिता बनायीं गयी!
यहाँ तक तो ठीक था लेकिन पहले तो बापू का फोटो डाक टिकट पर छापा गया जिसमे लोग थूक लगा कर लिफाफे पर रख कर घूँसा मरते थे और साथ ही नोट पर भी बापू का हँसता हुआ फोट छाप दिया गया जिसे थूक लगा लगा कर गिनते हैं !
अहिंसा के पुजारी को पता नहीं होगा कि उसका फोटो पाने के लिए लोग कितनी हिंसा करेंगे और कभी शराबी उसे फाड़ेगा तो कभी अय्याश उसे वैश्या पर लुटायेगा
और कभी लूट कर फोटो ऐसी गन्दी-गन्दी जगह छिपाए जायेंगे कि बेचारे बापू को भी अपनी गलती का एहसास हो जायेगा!
इस दुर्गति को देख कर कुछ पूज्यजनों ने बापू के फोटो को भारत के बेवकूफों के चंगुल से छुड़ा कर वातानुकूलित स्वच्छ स्विस बैंक में सुरक्षित करवा दिया जो बापू के धन्यवाद के पात्र हैं!

एक और बात समझने योग्य है जो किसी स्थान का गुंडा या बदमाश होता है अगर उसे ही पुलिस का दारोगा बना दिया जाये तो वह अपराधियों को आसानी से पहचान सकता है और उसे अड्डों का भी पता होता है!
इस हिसाब से अगर देखा जाये तो हुकूमत बिलकुल सही जायज लोगों के हाथ में है और कुछ बेवकूफ उनकी सख्ती का अंदाजा किये बिना भ्रष्टाचार के नाम पर उन पूज्य लोगों पर कीचड़ उछाल कर उसे छीनना चाहते हैं! 

5 जून को हश्र देख ही लिया बाकी अभी और देखने को मिल जायेगा
जब बाबा और अन्ना की पोस्टमार्टम के बाद डाक्टर सचान की तरह आत्म हत्या की रिपोर्ट आ जायेगी!
 
यह बेवकूफ भूल गए कि बापू के 3 बन्दर थे-
1. आँख बंद.. बुरा मत देखो.. चाहे जितने घोटाले या आतंकवादी हमले हों..
2. बुरा मत सुनो..चाहे बाबा और अन्ना के साथ लाखों लोग गरीबी, भ्रष्टाचार और लूट के धन के खिलाफ आवाज़ उठायें..
3. बुरा मत बोलो ... अपने प्रधान मंत्री और आलाकमान को ही देख लीजिये.
लेकिन मेरे भाई बापू का चौथा बन्दर नहीं था जो अपने स्वयं के हाथ पकडे होता और कहता बुरा मत करो......समझ गए न?

तो बापू के आदर्शों पर चलने वाली, देश को गोरे अंग्रेजों से आजादी दिलाने वाली और हर अपराध की खोज खबर अपने ही दल में बैठे दिग्गजों से हर पल रखने वाली ताकतवर पार्टी का साथ दो
वर्ना पहले आजादी की लड़ाई में मरने वालों ने कौन सा कद्दू में तीर मार लिया था जो आप मार लोगे?

अगर दूसरी आजादी की लड़ाई लड़ी भी तो पागल लोग मारे जाएँगे और होशियार लोग फिर सत्ता पर बैठेंगे..अरे भाई यह गुलामों का देश है..विदेशी आक्रमणकारियों को अतिथि देवो भव कह कर नतमस्तक होते हैं
और जब कोई आपके भाई को मार दे तो ..भगवान ने जो लिखा था वो तो हो गया..अब दुश्मन को मारने से कोई मरा हुआ वापस थोडे ही आ जायेगा..कह कर चुप करा देते हैं.

अगर अब आपके दिमाग की बत्ती जल गयी हो तो बोलो-
राष्ट्रीय अतिथि अजमल कसाब की जय...
महाबली नेताओं की जय...
भारत माता..ओह सोरी...???
फादर इंडिया की जय..अंकल इंडिया की जय..
विदेशी/स्वदेशी महारानी की जय.. युवराज की जय..?
 
मैंने देश की एक विशेष पार्टी की यशगाथा का प्रयास किया है
ताकि इन्टरनेट से लोग भ्रमित न हों और उन्हें सही ज्ञान मिल सके
लेकिन किन बातों को छुपाना चाहिए इस मामले में मैं अभी नासमझ हूँ
अतः अगर कुछ गलत लिख दिया हो तो आपके प्रकोप के डर से पहले ही माफ़ी मांग रहा हूँ.??
संभवतः आप मुझ तुच्छ को माननीय कलमाड़ी और महामहिम ए राजा जैसे पराक्रमी लोगों के साथ तिहाड़ में भेजने का कष्ट नहीं करेंगे..
कांग्रेस जिंदाबाद..????

साभार- श्री शशांक जौहरी...

2 comments:

  1. Jitendra ji, aapne mere lekh ko copy karke yahan apne naam se paste kiya hai yah thik nahi hai.. maine isey facebook par kai groups mein sunday 31, july ko post kiya tha.. apne sabhi lekh aur kavitayen main jis page par date time ke saath copy karke rakhta hun uska link bhej raha hun.. agey se kabhi bhe meri maulik rachnaon ko agar share karna chahte hain to mere naam ke saath karen naam hata kar nahi... http://www.facebook.com/groups/184111971619704/
    shashank johri (Writer/Poet)
    7503051717

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  2. Jitendra ji, plz isey ya to hata den ya fir mere naam se dobara post kariye..
    shashank johri

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