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Sunday 14 August 2011

अधूरी आज़ादी की 65 वीं वर्ष-गांठ...

सभी देशप्रेमियों को अधूरी आज़ादी की 65 वीं वर्ष-गांठ की शुभ-कामनाएं...

आज हमारा देश जिन विकट परिस्थितियों में खड़ा है... उन्हें देखें तो सारे पर्व निरर्थक हैं.??

लाखों करोड़ों के घोटाले, लाखों करोडो का काला धन देश को एक बहुत बड़े आर्थिक विषमता के साम्राज्यवाद की तरफ ले जा रहा है... जिस महंगाई और मुद्रा-स्फीति के विपरीत प्रभाव अब दिख रहे हैं वो तो केवल नमूना भर हैं... अभी लम्बी कहानी आगे बाकी है.??
जब देश की अर्थव्यवस्था अमेरिका की चरण धूल माथे पे रख के झूठे दंभ भरेगी तो ऐसा ही होगा.? अगर विनिमय बाज़ार के आंकड़ों से देखें तो हम अभी 'रिवर्स गीयर' में ही चल रहे हैं.??
रूपये की क्रय-शक्ति कितनी घट चुकी है, ये तो सबकी समझ में आ गया होगा और घर की रसोई का बजट ही सब बता देता होगा..
लेकिन अगर हम इसे राष्ट्रीय स्तर पर सिर्फ अनुमानित करें तो देश का क्या हाल हुआ होगा..अच्छी तरह समझा जा सकता है.??
जबकि हमने समय और जेब देखकर अपने खर्चे सीमित कर लिए या ख़त्म कर लिए और अपना जीवन स्तर सिर्फ ढो रहे हैं.??

ऐसे में हमारे देश के शासकों( उनका व्यवहार राजाशाही ही है-निरंकुश) का भी तो कुछ कर्तव्य होगा? लेकिन वो तो सब खुली लूट में शामिल हैं. और जो इनका विरोध करता है. आधी रात को सोते हुए को जगाकर मारते हैं ये.? -तो हुए ना निरंकुश शासक जिन्होंने 'रोम के नीरो' की मर्यादाये भी तोड़ दी.? आश्चर्य क्या है देश की बाग़-डोर भी तो 'नीरो' के वंशज के हाथ में ही है.?
 
यूपीए अध्यक्षा सोनिया गांधी की विदेश यात्रा का खर्चा(1850 करोड़) इस देश की गरीब जनता ने दिया है. उनकी सब एशो-आराम का खर्च इस देश के लाखों ईमानदार करदाता देते हैं?
इस देश में कोई एक संस्था है जो सोनिया गांधी (सिर्फ सांसद हैं) और उनके परिवार के आय-व्यय का ब्यौरा दे सके??
किस आधार पर वो हमारे देश के और यहाँ के नागरिको की खून पसीने की कमाई व्यर्थ में लुटा रही हैं?? वो भी तब जब देश की जनता गरीबी और भूख से जूझ रही है... पूंजीवाद देश में पाँव पसार रहा है... गरीब और ज्यादा गरीब हो रहा है..??

देश की बाग-डोर दी,
जिन्हें समझ के "नारी"
वो तो निकली "हत्यारी"
और बन गईं पूतना, ताड़का 
और शूपनखा की "प्यारी".

देश के एक-मात्र कठपुतली प्रधान-मंत्री (जिनका नाम इतिहास में जेड ब्लैक अक्षरों में लिखा जायेगा) ईमानदारी की नपुंसक चुप्पी साधे सब दुश्चरित्रों के महा-भारत में गूंगे धृत-राष्ट्र बने बैठे हैं.?? कुटिल सिब्बल, शकुनी दिग्विजय, पापी चिदम्बरम, क्रिकेट माफिया पंवार, दो लाख करोड़ का ये राजा, शीला दीक्षित-कलमाड़ी की कोमन वैल्थ और ऐसे सैकड़ों नेताई उदाहरण हैं, जो  "आदर्श सोसायटी" के भ्रष्ट हैं, जिन्होंने लोकतंत्र को दफना कर, नैतिकता की सब सीमायें तोड़कर हमारे देश को गर्त में डाल दिया है.??
राहुल गांधी-सुकन्या मामला ऐसा है जो इस देश में अन्याय के घनघोर अँधेरे को दर्शाता है..??

पिछले तीन साल में भ्रष्टाचार और काला धन द्रुतगामी गति से बढ़ा है और देश को तीस साल पीछे धकेल गया है...
स्विस बैंक्स में भारतीयों का जमा काला धन देश के लिए माफिया बन चुका है जिस से लड़ना आम आदमी से परे है.?? और इसी काले धन के मालिक कथित 'देश चलाने वाले' हैं.??
अब कोई चोर ये तो कहेगा नहीं कि ले जाओ.. ये मैंने चोरी किया था आपके घर से.??

रही बात संसद की...सभी विपक्षी दल इन परिस्थितियों के लिए समान रूप से उत्तरदायी हैं.??
जो सत्ता पक्ष का मौन समर्थन करते हैं... इन्हें आम लोगों के दुःख से कोई लेना-देना नहीं है.??
संसद को तबेला बना दिया है, जहाँ ये सब 'एक थैली के चट्टे-बट्टे' देश की लाचार जनता का दूध दुहते हैं और निकल लेते हैं??

राजनीति की भ्रष्टता और धृष्टता ने विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र को शर्मसार किया है.?

कांग्रेस की 'धर्म' की नीति पर तो गोरे फिरंगी भी मुहं छुपा लें...??

और कहें कि हमने तो "फूट डालो राज करो" की नीति अपने गुलाम देश में लागू की थी..?
जबकि कांग्रेस.. छी.. छी.. छी.. इनका तो कोई धर्म-ईमान, नीति और देश ही नहीं.??
हिन्दू  "साम्प्रदायिक" बाकी सब धर्म निरपेक्ष (सिक-यू-लायर्स) के साथ.?
वाह.. 'वोट बैंक' का तुष्टिकरण करने वाली पार्टी.. और बदकिस्मती उन कथित "अल्पसंख्यकों" की, जो सिर्फ वोट बैंक समझकर 'प्रयोग' किये जाते हैं.? अहिंसक हिन्दू पे आतंकवाद का आरोप लगाके खानग्रेस वोट बैंक का तुष्टिकरण कर रही है जिसका आज तक का सबसे बड़ा और तुच्छ उदाहरण 'सांप्रदायिक एवं लक्षित हिंसा विधेयक २०११' है...ये विधेयक देश के टुकड़े कर देगा जो ये भ्रष्ट और काला धन माफिया चाहते हैं.??

मीडिया भी इन 'सिक-यू-लायर्स' की 'रखैल' है जो वक़्त- बेवक्त नग्न होती रहती है.??

इस देश की हर पीढ़ी के साथ विडंबना रही है कि हमने जिसको सत्ता में बिठाया
उसने ही हमारे साथ विश्वासघात किया.??
90 लाख करोड़ (आम आदमी तो गिन भी नहीं पायेगा) तो घोटालो में ही चले गए..जिन पर सम्मान के साथ जनता का हक था... इन रुपयों को वही कुत्ते ही तो खा गये जिनको हमने पाला था...?? गरीब की रोटी तो छीन ली अब उसका खून चूस रहे हैं.. कभी महंगाई से तो कभी डीजल-पेट्रोल वृद्धि से... कभी घोटालो से तो कभी भ्रष्टाचार से... फिर भी बच गया तो पाकिस्तानी बम्ब फोड़ जाते हैं? ये नपुंसक देखते रहते हैं और कहते हैं कि पाकिस्तान-अफगानिस्तान जैसे हालात तो नहीं हैं??
राहुल गांधी का कहना है- हर हमला नहीं रोका जा सकता??
पापी चिदम्बरम कहता है- 31 महीने तो बचाए रखा मुंबई को.??
सुबोध कान्त सहाय फैशन शो देखते पकडे जाने पर कहते है- ऐसी घटनाओं से ज़िन्दगी नहीं रूकती.??
भौंडा दिग्विजय तो सीधा बगैर सोचे समझे हिन्दू संगठनों पर आरोप लगता है...
जब देश के मंत्री इतना अनर्गल और गैर जिम्मेदाराना वक्तव्य देंगे तब जनता का मनोबल तो ख़त्म है??
इनके ये शुभ सन्देश अभी मुंबई ब्लास्ट 2011 के हैं.
ऐसी भ्रष्ट और लोकद्रोही राजनीति पर एक मशहूर शायर कहते हैं-
                                                  "बुलंदी का नशा सिम्तों का जादू तोड़ देती है,
                          हवा उड़ते हुए पंछी के बाजू तोड़ देती है.
                          सियासी भेडियो, थोड़ी बहुत गैरत जरुरी है,
                          तवायफ तक किसी मौके पे घुंघरू तोड़ देती है."

जब दुश्मन घर में बैठा हो तो कोई कितनी ही सीमाओं की चौकसी कर लें,
विजयी होना संदिग्ध परिस्थितियों में ही है??

हमारे पड़ोस में एक 'अमन की आशा' है जो दो-चार महीनो में किसी ना किसी शहर में धमाके कर जाती है और हम 'अहिंसा के समर्थक' 'शांति के पुजारी' प्रेम बाँटते रहते हैं..पिछले 65 साल से यही तो हो रहा है.. और हम प्रेम ही तो किये जा रहे हैं--
कभी अपाकिस्तान से, कभी अफज़ल से तो कभी कसाब से...
कभी कश्मीरी अलगाववादियों से...हिन्दू देवियों की नग्न तस्वीर बनाने वाले हुसैन से...
यहाँ मेरठ में रहकर कराची में भारत के खिलाफ आग उगलने वाले बशीर बद्र से....
भारत से कमाए पैसे निर्यात करने वाले राहत फ़तेह अली खान से....
कितने पाकिस्तानी कलाकार हैं मुंबई में जो हमारे प्रेम पे ही पल रहे हैं.....
कोई हिन्दुस्तानी वहाँ पाक में इतना प्यार पा सकता है.?????
हमने तो सब कुछ गँवा के दो ही तो चीज़े पाई हैं......
ये नाकाम कांग्रेस सरकार.??
और
प्रेम...जो बोर्डर पे हमारे जवानों को मिलता रहता है.??

बात की जाए हमारी सेना सैनिकों की तो इनके कर्तव्य और ईमानदारी की मिसाल कहीं नहीं है. अब तो पूरे भारत में केवल माँ भारती के 'जवान' ही हैं, जिन पर हम गर्व कर सकते हैं. हमारे जवानों के लिए कवि मनवीर 'मधुर' कहते हैं- 
   "सैनिकों के शौर्य पे ना कोई प्रश्नचिन्ह यदि ठाने शत्रु को ये जड़ से उखाड़ देते हैं,
   कोई दो-दो हाथ करना भी यदि चाहता तो एक बार में ही भूमि पे पछाड़ देते हैं.
   कोई माया मातृभूमि में कुदृष्टि डालता तो ऐसे आइनों के चेहरे बिगाड़ देते हैं.
   वंशज भरत के हैंसामने हो सिंह के भी खेल खेल में  ही जबड़े को फाड़ देते हैं."

मेरे राष्ट्रवादियों, मेरे देशप्रेमियो..
उठो, समय की पुकार है..
जागो, हालात की हुंकार है..
तुम  सो  रहे  हो  नौजवानों  देश  बिकता है,
तुम्हारी संस्कृति का है खुला परिवेश बिकता है
सिंहासनों  के  लोभियों के  हाथ  में  पड़ कर,
तुम्हारे देश के इतिहास का अवशेष बिकता है

पिशाचों
से बचा लो देश को, अभिमान ये होगा,
तुम्हारा राष्ट्र को अर्पित किया सम्मान ये होगा।

पन्द्रह अगस्त का दिन कहता-
आज़ादी अभी अधूरी है।
सपने सच होने बाक़ी हैं,
रावी की शपथ पूरी है॥

जिन लाशों पर पग धर कर
आजादी भारत में आई।
वे अब तक हैं खानाबदोश
ग़म की काली बदली छाई॥

कलकत्ते के फुटपाथों पर
जो आंधी-पानी सहते हैं।
उनसे पूछो, पन्द्रह अगस्त के
बारे में क्या कहते हैं॥

हिन्दू के नाते उनका दुख
सुनते यदि तुम्हें लाज आती।
तो सीमा के उस पार चलो
सभ्यता जहाँ कुचली जाती॥

इंसान जहाँ बेचा जाता,
ईमान ख़रीदा जाता है।
इस्लाम सिसकियाँ भरता है,
डालर मन में मुस्काता है॥

भूखों को गोली नंगों को
हथियार पहनाये जाते हैं।
सूखे कण्ठों से जेहादी
नारे लगवाए जाते हैं॥

लाहौर, कराची, ढाका पर
मातम की है काली छाया।
पख़्तूनों पर, गिलगिट पर है
ग़मगीन ग़ुलामी का साया॥

बस इसीलिए तो कहता हूँ
आज़ादी अभी अधूरी है।
कैसे उल्लास मनाऊँ मैं?
थोड़े दिन की मजबूरी है॥

दिन दूर नहीं खंडित भारत को
पुनः अखंड बनाएँगे।
गिलगिट से गारो पर्वत तक
आजादी पर्व मनाएँगे॥

उस स्वर्ण दिवस के लिए आज से
कमर कसें बलिदान करें।
जो पाया उसमें खो जाएँ,
जो खोया उसका ध्यान करें॥

वन्दे-मातरम्...
जय हिंद...जय भारत....

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