#AbkiBaarModiSarkar
भारतीय लोकतंत्र में नई पुरानी अनेक राजनीतिक पार्टियाँ आईं जो सिर्फ सत्ता महत्वाकांक्षा के लिए मुद्दों से बलात्कार करती रही... भावनाओं से खेलकर आम आदमी को धरना/अनशन/ड्रामों से बहकाती रही, बहलाती रहीं.!!
देश के सैनिकों के सर कटते रहे, वीर सैनिकों पर आतंकी हमले होते रहे और आम आदमी के हितैषी राजनीतिक दल सैनिकों के विशेषाधिकारों का विरोध करते रहे, आतंकियों की फांसी का विरोध करते रहे... देश को टोपी पहनने वाले वोट बैंक के लिए कठमुल्लों से टोपी पहनकर राष्ट्र की सुरक्षा से समझौता करते रहे...
भारतीय राजनीती में अबकी बार पहली बार राष्ट्रवादी और हिंदुआ सूरज का उदय हुआ है...
नरेन्द्र भाई मोदी...
इस देश में नरेन्द्र मोदी अकेले नेता हैं-
जो बंगाल में जाते हैं तो खुले आम बांग्लादेशियों को खदेड़ने की धमकी देते हैं...
जो अरुणाचल प्रदेश में जाते हैं तो चीन की साम्राज्यवादी नीति पर प्रहार करते हैं...
जो पाकिस्तान की आतंकी गतिविधियों का जोरदार विरोध करते हैं...
और
आज मोदी जी ने फारूख अब्दुल्ला के देशद्रोही वक्तव्य की आलोचना करते हुए कश्मीरी पंडितों को कश्मीर घाटी में प्रताड़ित किये जाने और वहां से भगाए जाने का मुद्दा उठाया है...
सोचो, मेरे देशप्रेमियों...
विचार करो, मेरे भारत भक्तों...
आखिर कांग्रेस, वाम दल, समाजवादी पार्टी, बसपा, TMC, राकांपा, राजद, जदयू, आआपा आदि अनेक मुल्ला तुष्टिकरण करने वाली पार्टियों ने आज तक बांग्लादेशियों के विरुद्ध अथवा कश्मीरी पंडितों के समर्थन में कोई बयान क्यूँ नहीं दिया.?
असल में सेकुलरिज्म की आड़ में सत्ता का धंधा चलाने वाले किसी भी तरह मुसलमानों को नाराज नहीं करना चाहते...
केवल इस्लाम का परचम दुनिया पर लहराने की इच्छा रखने वाले मुस्लिम किसी देश और सीमा को नहीं मानते हैं और यही कारण है कि बर्मा में जब रोहिंग्या मुसलमान बौद्धों द्वारा मारे जाते हैं तो मुम्बई के आजाद मैदान में पुलिस मीडिया पिटती है और अमर जवान शहीद स्थल तोड़े जाते हैं मगर सरकार किसी एक को भी सजा नहीं दे पाती...
स्वीडन में मोहम्मद साहब के कार्टून बनते हैं और दिल्ली में सरकारी सम्पत्ति तोडी जाती हैं...
ईराक में सद्दाम मरता है और विरोध दिल्ली में होता है...
पाकिस्तान क्रिकेट में भारत से जीतता है तो जश्न मुसलमानों की गलियों में मनाया जाता है...
आखिर क्यूँ.?
क्यूंकि अब तक की किसी भी सरकार ने इनकी खुली इस्लाम परस्ती का विरोध नहीं किया...
राष्ट्र के विरुद्ध उनके कार्यों पर कभी उन्हें दण्डित नहीं किया गया...
बल्कि इसके विपरीत तुष्टिकरण और वोट बैंक की नीति को सर्वोच्च रखते हुए उनका पक्ष लिया गया और उनके भारत विरोधी मंसूबों को हौसला दिया गया...
मैं अथवा मोदी जी मुसलमानों के विरोधी नहीं है बल्कि भारत विरोधियों के विरोधी हैं वो देशद्रोही चाहे किसी भी धर्म का हो...
16 मई से देश नये युग में प्रवेश कर रहा है...
"राष्ट्र सर्वप्रथम सर्वोपरि"
वन्दे मातरम...
जय हिंद... जय भारत...
भारतीय लोकतंत्र में नई पुरानी अनेक राजनीतिक पार्टियाँ आईं जो सिर्फ सत्ता महत्वाकांक्षा के लिए मुद्दों से बलात्कार करती रही... भावनाओं से खेलकर आम आदमी को धरना/अनशन/ड्रामों से बहकाती रही, बहलाती रहीं.!!
देश के सैनिकों के सर कटते रहे, वीर सैनिकों पर आतंकी हमले होते रहे और आम आदमी के हितैषी राजनीतिक दल सैनिकों के विशेषाधिकारों का विरोध करते रहे, आतंकियों की फांसी का विरोध करते रहे... देश को टोपी पहनने वाले वोट बैंक के लिए कठमुल्लों से टोपी पहनकर राष्ट्र की सुरक्षा से समझौता करते रहे...
भारतीय राजनीती में अबकी बार पहली बार राष्ट्रवादी और हिंदुआ सूरज का उदय हुआ है...
नरेन्द्र भाई मोदी...
इस देश में नरेन्द्र मोदी अकेले नेता हैं-
जो बंगाल में जाते हैं तो खुले आम बांग्लादेशियों को खदेड़ने की धमकी देते हैं...
जो अरुणाचल प्रदेश में जाते हैं तो चीन की साम्राज्यवादी नीति पर प्रहार करते हैं...
जो पाकिस्तान की आतंकी गतिविधियों का जोरदार विरोध करते हैं...
और
आज मोदी जी ने फारूख अब्दुल्ला के देशद्रोही वक्तव्य की आलोचना करते हुए कश्मीरी पंडितों को कश्मीर घाटी में प्रताड़ित किये जाने और वहां से भगाए जाने का मुद्दा उठाया है...
सोचो, मेरे देशप्रेमियों...
विचार करो, मेरे भारत भक्तों...
आखिर कांग्रेस, वाम दल, समाजवादी पार्टी, बसपा, TMC, राकांपा, राजद, जदयू, आआपा आदि अनेक मुल्ला तुष्टिकरण करने वाली पार्टियों ने आज तक बांग्लादेशियों के विरुद्ध अथवा कश्मीरी पंडितों के समर्थन में कोई बयान क्यूँ नहीं दिया.?
असल में सेकुलरिज्म की आड़ में सत्ता का धंधा चलाने वाले किसी भी तरह मुसलमानों को नाराज नहीं करना चाहते...
केवल इस्लाम का परचम दुनिया पर लहराने की इच्छा रखने वाले मुस्लिम किसी देश और सीमा को नहीं मानते हैं और यही कारण है कि बर्मा में जब रोहिंग्या मुसलमान बौद्धों द्वारा मारे जाते हैं तो मुम्बई के आजाद मैदान में पुलिस मीडिया पिटती है और अमर जवान शहीद स्थल तोड़े जाते हैं मगर सरकार किसी एक को भी सजा नहीं दे पाती...
स्वीडन में मोहम्मद साहब के कार्टून बनते हैं और दिल्ली में सरकारी सम्पत्ति तोडी जाती हैं...
ईराक में सद्दाम मरता है और विरोध दिल्ली में होता है...
पाकिस्तान क्रिकेट में भारत से जीतता है तो जश्न मुसलमानों की गलियों में मनाया जाता है...
आखिर क्यूँ.?
क्यूंकि अब तक की किसी भी सरकार ने इनकी खुली इस्लाम परस्ती का विरोध नहीं किया...
राष्ट्र के विरुद्ध उनके कार्यों पर कभी उन्हें दण्डित नहीं किया गया...
बल्कि इसके विपरीत तुष्टिकरण और वोट बैंक की नीति को सर्वोच्च रखते हुए उनका पक्ष लिया गया और उनके भारत विरोधी मंसूबों को हौसला दिया गया...
मैं अथवा मोदी जी मुसलमानों के विरोधी नहीं है बल्कि भारत विरोधियों के विरोधी हैं वो देशद्रोही चाहे किसी भी धर्म का हो...
16 मई से देश नये युग में प्रवेश कर रहा है...
"राष्ट्र सर्वप्रथम सर्वोपरि"
वन्दे मातरम...
जय हिंद... जय भारत...
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