गांधी वध के असली तथ्य-
ये बात अपने आप में ही एक रहस्य लेकर सिमटी रह गयी या फिर तथ्य छुपा दिए गए...क्योंकि ये तो वो देश है जिसमे कुछ देशद्रोही मिलकर आह को भी 'हे-राम' बना कर अपनी राजनीति करते हैं.?? इस राजनीतिक स्वार्थ ने गांधी वध के भी असली तथ्य छिपा दिए...किसी को भी मारने के 2 मूल कारण होते हैं-1. किसी व्यक्ति ने अतीत में कुछ ऐसा किया हो जो आपको पसंद नहीं.?2. और कोई व्यक्ति भविष्य में कुछ ऐसा करने वाला हो जो आपको पसंद नहीं.? इन दोनों कारणों के इर्द गिर्द अनेक विकल्प हो सकते हैं...ऐसा ही एक कारण गांधी वध के साथ... भविष्य का जुड़ा हुआ थायह वध 30 जनवरी को किया गया था..फरवरी के पहले सप्ताह में गांधी को पाकिस्तान जाना था.
3 फरवरी 1948 को जाने वाला था... जिन्ना... धर्मान्तरित मुस्लिम था.. एक भाटिया राजपूत था काठियावाड़ क्षेत्र का...जिसके बाप का नाम था पुन्ना लाल ठक्कर.. जिन्ना ने गांधी को आमंत्रित किया हुआ था पोर्किस्तान की यात्रा के लिए...उसके पीछे एक षड्यंत्र था... जिन्ना ने मांग रखी थी कि हमको इस पोर्किस्तान से उस पोर्किस्तान जाने में समुद्री रस्ते से बहुत समय लगता है और हवाई सफर बहुत महँगा होता है...इसलिए हमको भारत के बीचो बीच एक कोरिडोर बना कर दिया जाए....जो लाहोर से ढाका तक जाता हो ... (NH-1)जो दिल्ली के पास से जाता हो...जिसकी चौड़ाई कम से कम 10 मील की हो ... (10 Miles = 16 KM)यह निश्चित था कि यदि गांधी पोर्किस्तान पहुँच जाता तो यह मांग भी मान ली जाती....उपरोक्त पैशाचिक कारणों के चलते...
हुतात्मा गोडसे को गांधी वध करने के लिए प्रेरित होना पडा...कोटि-कोटि प्रणाम है ऐसे शूरवीर को ...55 करोड़ के अलावा और भी बहुत कुछ देना चाहता था गांधी पोर्किस्तान को...जैसे कि...
टैंकों का बंटवारा..हवाई जहाज़ों का बंटवारा..युद्ध विमानों का बंटवारा..
कराची पोर्किस्तान का व्यावसायिक केंद्र था...और मुंबई भारत का...मुंबई की कीमत कराची से ज्यादा थी...तो इस अंतर को भी बराबर करने की उसकी मंशा थी...
वन्दे-मातरम्...
जय हिंद...जय भारत....
Agar schhai kuch isi tarh hai..to mahan deshbhakat nathuramgodse amar rahin.
ReplyDeleteप्रेम और युध्ध मै सब जायज होता है पर राजकारण नाम ही राज कारन राज के कारन कुछभी करवाता है मेरा भारत महान गधा नेता पहेलवान ६२ साल के बाद भी जनता को मुर्ख बनाव .है बनती है और बनती रहेगी
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