"तुम मुझे क्या खरीदोगे... मैं तो मुफ्त हूँ.!!"
'मुफ्त' होना ही दुःख है आम आदमी का...
उसके सिवाय इस देश में कुछ भी मुफ्त नही है और गरीब की औकात इस महंगाई का सामना करने की अब रही नही.?
देश की जनता का बुरा हाल और मरना मुहाल कर दिया है, इस लोकद्रोही कांग्रेस सरकार ने...
हर चीज के दाम आसमान छू रहे हैं... किसी पर कोई नियंत्रण नही है.??
हर चीज के दाम आसमान छू रहे हैं... किसी पर कोई नियंत्रण नही है.??
आम आदमी का दिन-रात बढती खाद्य महंगाई से जीना मुश्किल हो गया है...
सरकार जनहित ताक पर रखकर हाथ पर हाथ धरे बैठी है...
जबकि भ्रष्टाचार के लिए सभी मंत्रियों के हाथ खुले छोड़ रखे हैं...
आर्थिक विषमता की खाई असीमित होती जा रही है...
गरीब भूखे मर रहे हैं और अमीर करोडपति से अरबपति हो रहे हैं...
जनता के पास कोई विकल्प भी नही है 2014 से पहले...
"एक दिन की मूर्खता से पांच साल तक सजा मिलती है."
--यही तथाकथित लोकतंत्र का कडवा और काला सत्य है...
"एक दिन की मूर्खता से पांच साल तक सजा मिलती है."
--यही तथाकथित लोकतंत्र का कडवा और काला सत्य है...
आज के गरीब की हिम्मत नही है और ना ही उसका वश चलता है कि वो जुल्म का विरोध करे... और जिनको डटकर विरोध करना चाहिए, वो मौन हैं और घरों में दुबके बैठे हैं...
इन सबके लिए 'दुष्यंत कुमार जी' ने कहा है-
इन सबके लिए 'दुष्यंत कुमार जी' ने कहा है-
"कहीं तो धूप की चादर बिछाकर बैठ गए...
कहीं तो छाँव सिरहाने लगाकर बैठ गए...
जब लहुलुहान नजारों का जिक्र आया तो,
शरीफ लोग उठे और दूर जाकर बैठ गए..."
देश के इन्हीं तथाकथित 'शरीफ' लोगों ने अनैतिक, अन्याय और अत्याचार के खिलाफ प्रतिक्रिया देना बंद कर दिया है...
जिस दिन देश व समाज के सभ्य व बुद्धिजीवी लोग सरकार के भ्रष्टाचार, अत्याचार व दुराचार के खिलाफ आवाज उठा देंगे...
इस देश को लूटने वाले डकैतों को अपना बोरिया-बिस्तर बाँधना ही पडेगा...
आवश्यकता है देश की जनता के संगठित होने की...
'राष्ट्र सर्वप्रथम सर्वोपरि'
वन्दे मातरम्...
जय हिंद... जय भारत...